राधे-राधे “अगर आप भी कृष्ण जी के रंग में रंगने के लिए 2024 में कृष्ण नगरी मथुरा ,वृन्दावन ,बनारस और गोकुल नंदगांव में होली खेलने जा रहे हैं तो जान लें कि वहां किस तारीख को कौन सी होली मनाई जाने वाली है।”
कृष्ण नगरी की होली का अनुभव जीवन में एक बार जरूर लेना चाहिए। यदि आप कृष्ण नगरी होली के सभी दिनों के बारे में पूरी जानकारी चाहते हैं तो अपने लेख के बाद तक बने रहें।
क्या आप भी उत्साहित हैं जाने के लिए , तो बिना किसी देरी के कृष्ण जी और राधा जी के नाम के साथ आज के आर्टिकल को शुरू करते हैं।
2024 में वृन्दावन, मथुरा और बरसाना में होली की तारीखें
इस लिस्ट को एक बार जरूर पढ़ें. हमने इस सूची में सभी तारीखें लिखी हैं। इसमें तारीखें और कौन सी होली खेली जाएगी ये लिखा है.
Date (तारीख) | Location (जगह) | कौन सी होली खेली जाएगी |
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17th March ,2024 | राधा रानी मंदिर, बरसाना | लड्डू मार होली |
18th March ,2024 | राधा रानी मंदिर, बरसाना | लट्ठमार होली |
19th March ,2024 | नंद बाबा मंदिर, नंदगांव | लट्ठमार होली |
20th March ,2024 | बांकेबिहारी मंदिर,वृंदावन | फूलों वाली होली |
21th March ,2024 | बांकेबिहारी मंदिर,वृंदावन | रंगभरी एकादशी होली |
21th March ,2024 | गोकुल | छड़ीमार होली |
24th March ,2024 | मथुरा | होलिका दहन |
25th March ,2024 | द्वारकाधीश मंदिर, मथुरा | धुलंडी होली |
26th March ,2024 | दाऊजी मंदिर, मथुरा | बलदेव मियां हुरंगा होली |
1. (17-March-2024) बरसाना लड्डू मार होली
बचपन में सभी ने लड्डू तो खाए होंगे, लेकिन क्या आपने कभी लड्डुओं से होली खेली है? यदि आपने नहीं खेला है, तो आप किसका इंतज़ार कर रहे हैं? 17 मार्च को बरसाना जाकर लड्डुओं वाली होली का आनंद उठायें।
इस होली की शुरुआत कृष्ण जी, राधा जी और बनारसना की महिलाओं ने की थी और तब से यह होली हर साल बरसाना में मनाई जाती है। बरसाना में 1 मार्च से 17 मार्च तक ये होली चलने वाली है।
बरसाना की लड्डू मार होली की पहली होली है क्योंकि कहा जाता है कि कोई भी शुभ काम करने से पहले कुछ मीठा जरूर खाना चाहिए। एक बात का ध्यान रखें कि जब आप होली के दौरान वृन्दावन या कृष्णानगर में कहीं भी आएं तो पहले से ही अड़ी बुक कर लें क्योंकि उस समय काफी भीड़ होती है।
2. (18-March-2024) बरसाना लट्ठमार होली
इस साल बरसाना में लट्ठमार होली 18 मार्च 2024 को मनाई जाने वाली है । बरसाना की लट्ठमार होली फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है,जो होली से 1 सप्ताह पहले शुरू हो जाती है।
इस होली का इतिहास यह है कि जब कृष्ण राधा जी से मिलन आये थे तो बरसाना की महिलाओं ने उनका स्वागत फूलों या रंगों से नहीं बल्कि अपनी लाठियों से किया था।तभी से यह परंपरा शुरू हो गई जो आज भी बरसाना नंद गांव में चल रही है।
एक अन्य मान्यता है कि जब नंदगांव के पुरुष राधा रानी मंदिर में जाते हैं तो वहां की महिलाएं लाठियों से उनका स्वागत करती हैं, तभी से यह परंपरा चली आ रही है। और अगले ही दिन यह लठमार होली बहुत ही धुमधाम से नंदगांव में बनाई जाती है जो बरसाना के विपरीत है।
3. (19th-March-2024) नंदगांव लट्ठमार होली
बरसाना की लट्ठमार होली तो सर्वश्रेष्ठ है ही लेकिन उसके बाद नंदगांव की होली का भी कम महत्व नहीं है, नंदगांव की होली बरसाना की लट्ठमार होली को कड़ी टक्कर देती है, यह होली नंद बाबा मंदिर में बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है।
नंद गांव में लट्ठमार होली मनाई जा रही है और इस बार नंदगांव की महिलाओं को बरना के पुरुषों पर पत्थर फेंकने का मौका मिलता है. ये पिछले दिनों की छेड़छाड़ का कमाल है. लेकिन यह होली केवल मनोरंजन के लिए है क्योंकि यह होली राधा कृष्ण जी ने भी मनाई थी। तभी से नंदगांव के लोग यहां लठमार होली मनाते हैं।
4. (20th-March-2024) वृंदावन फूलों वाली होली
इस वर्ष फूलों की होली 20 मार्च 2024 को बांके बिहारी मंदिर, वृन्दावन में खेली जाएगी जो कि एक बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है, वैसे तो यह होली पूरे दिन चलती है लेकिन इसका आनंद सबसे अच्छा शाम 4:00 बजे लिया आता है। , यह पूरा कार्यक्रम 20 से 25 मिनट तक चलता है।
वृन्दावन की फूल होली का इतिहास यह है कि भगवान श्री कृष्ण गोपियों के साथ रंगों और फूलों की होली खेलते थे, इसलिए बांके बिहारी मंदिर में आज भी फूलों की होली का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
इस होली को मनाने के लिए बांके बिहारी मंदिर के बाहर भक्त भी बड़ी संख्या में इकट्ठा होते हैं। इस दिन बांकेबिहारी मंदिर के पुजारी हमारे बांकेबिहारी को फूलों से सजाते हैं और दोपहर में भक्तों पर पुष्पवर्षा करते हैं, जिससे चारों ओर भक्ति और खुशी का माहौल बन जाता है।
5. (21th-March-2024) वृंदावन रंगभरी एकादशी होली
यह रंग भरी होली 20 मार्च से शुरू होकर 21 मार्च तक चलेगी, जो बांके बिहारी मंदिर, वृन्दावन में आयोजित की जाएगी,जहां भक्तों की काफ़ी भीड़ रहती है।
यह होली भगवान कृष्ण और गोपियों के बीच प्रेम का प्रतीक है। कृष्ण जी गोपियों को रंग लगाकर उनके साथ होली खेलते थे और गोपियाँ भी कृष्ण जी को रंग लगाती थीं, वैसे भी बांके बिहारी मंदिर में कृष्ण की नगरी है इसलिए इस उत्सव का आयोजन बहुत ही भव्य तरीके से किया जाता है ।
6. (21th-March-2024) गोकुल छड़ीमार होली
गोकुल वह जगह है जहां पर कृष्ण जी का बचपन बीता है,और इस वर्ष 21 मार्च 2024 को गोकुल में छड़ीमार होली का आयोजन बहुत ही भव्य तरीके से किया गया है।
अब आपके मन में ये सवाल उठ रहा होगा कि अगर 21 मार्च को वृन्दावन में रंग भरी होली है और 21 मार्च को गोकुल में छड़ी मार होली है तो दोनों कैसे खेलें।
तो चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है, आप दोनों जगहों पर जा सकते हैं। अगर आप सड़क मार्ग से जाएंगे तो आपको वृन्दावन से गोकुल पहुंचने में अधिकतम एक घंटा लगेगा।
इस दिन गोकुल में एक जुलूस भी निकाला जाता है जिसमें छोटे बच्चों को राधा कृष्ण का रूप दिया जाता है।
7. (24th-March-2024) मथुरा होलिका दहन
इस दिन पूरे भारत में होलिका दहन का माहौल बन जाएगा. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि होलिका दहन का मतलब बुराई पर अच्छाई की जीत है, इसलिए इस जीत को मथुरा में बहुत भव्य तरीके से मनाया जाता है।
इस दिन, शाम को मथुरा में होली दहन समारोह किया जाता है जहां राक्षस होलिका को जलाया जाता है। इस कार्यक्रम को देखने के लिए बहुत से लोग आते हैं और यहां दर्शकों की भारी भीड़ होती है।
यहां शाम 6:00 बजे राधा कृष्ण की आरती होती है और इस साल होलिका दहन का शुभ समय रात 11:13 बजे से 12:25 बजे तक है।
8. (25th-March-2024) मथुरा धुलंडी होली
इस साल 25 मार्च 2024 को पूरे भारत में होली मनाई जाएगी, मथुरा की होली की बात ही कुछ अलग है, यहां का शुद्ध वातावरण और होली के रंग-बिरंगे रंगों का एक अलग ही आनंद है,जो धरती पर ही स्वर्ग का अहसास कराता है।
कहते हैं कि कृष्ण जी के साथ होली खेलना हर किसी को नसीब नहीं होता, इसलिए अगर श्री कृष्ण जी ने आपको होली के मौके पर मथुरा बुलाया है, तो आप बहुत भाग्यशाली व्यक्ति हैं।
9. (26th-March-2024) मथुरा बलदेव मियां हुरंगा होली
इस वर्ष मथुरा बल्देव मियां हुरंगा होली 26 मार्च 2024 को दाऊजी मंदिर मथुरा में मनाई जाने वाली है।
ये होली भाभी और देवर आपस में खेलते हैं। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण बलदाऊ महाराज की नगरी दाऊजी गए थे। इस दौरान परंपरा के मुताबिक भाभियों ने देवर के कपड़े फाड़ दिए. फिर उसने उसी कपड़े का कोड़ा बनाया और फिर उसी कपड़े से अपने को देवर पीटा, इसीलिए इसे ‘कोड़ा होली’ कहा जाता है।
निष्कर्ष
आज के आर्टिकल में बस इतना ही, मुझे आज का आर्टिकल लिखने में बहुत मजा आएगा, मुझे उम्मीद है कि आपको भी आज का आर्टिकल पढ़कर मजा आएगा।
इस लेख को पढ़ने के बाद जिनकी शंकाएं दूर हो गई हैं और जो इस बार 2024 में बृज में होली मनाने की योजना भी बना रहे हैं, कृपया जल्दी से comment करें।
अगर आपको आज का आर्टिकल पसंद आया और जानकारीपूर्ण(informative) लगा तो आर्टिकल को अपने उन दोस्तों के साथ शेयर करें जो 2024 में होली खेलने बृज जा रहे हैं, जिससे उन्हें काफी मदद मिलेगी.